घर में आरओ लगवाने से पहले इस आर्टिकल को जरूर पढ़ लें

घर में आरओ लगवाने से पहले इस आर्टिकल को जरूर पढ़ लें

सुमन कुमार

आजकल साफ पानी से जुड़े विज्ञापनों की भरमार हर ओर दिख रही है और जिसे देखो वो आपको घर में आरओ लगवाने की सलाह दे रहा है। मगर सवाल यह है कि क्‍या सचमुच आपके घर में आरओ लगवाने की जरूरत है? आखिर किसी घर में आरओ की जरूरत है या नहीं इसका आकलन कैसे किया जाता है? आज हम आपको इस बारे में विस्‍तार से बताते हैं।

पानी की शुद्धता का आकलन उसमें घुले हुए ठोस पदार्थ, जिसे टीडीएस (टोटल डिजाल्‍वड सॉलिड) कहा जाता है, की मात्रा से लगाया जाता है। डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के अनुसार किसी पानी में अगर टीडीएस की मात्रा 300 मिलीग्राम से कम हो तो उस पानी को पीने के लिए शानदार माना जाता है जबकि 900 मिलीग्राम टीडीएस को खराब पानी की श्रेणी में रखा जाता है। 1200 मिलीग्राम टीडीएस वाले पानी को पीने के लिए अस्‍वीकार्य की श्रेणी में रखा जाता है। 500 मिलीग्राम से कम टीडीएस वाले पानी के लिए आरओ की जरूरत नहीं होती है क्‍योंकि टीडीएस में कई तरह के खनिज लवण भी होते हैं जो आरओ यानी रिवर्स ओस्‍मोसिस की प्रक्रिया में पानी से निकल जाते हैं और शरीर के पोषण के लिए जरूरी ये मिनरल्‍स हमें नहीं मिल पाते। आरओ लगवाने से पहले किसी भी व्‍यक्ति को अपने नल के पानी में टीडीएस की जांच जरूरत करवानी चाहिए और टीडीएस अगर 500 से कम हो तो आरओ न लगवाएं। गौरतलब है कि आरओ तकनीक के जरिये पानी को शुद्ध करने में भारी मात्रा में पानी की बर्बादी होती है। आमतौर पर इस तकनीक के जरिये निकला अशुद्ध पानी पूरी तरह नालियों में बहाकर बर्बाद कर दिया जाता है।

अब इस बात को राष्‍ट्रीय हरित न्‍यायाधिकरण यानी एनजीटी ने भी अपने आदेश के जरिये कहा है। एनजीटी ने सरकार को आदेश दिया है कि जिन इलाकों के पानी में टीडीएस की मात्रा 500 से कम हो वहां आरओ पर पूरी तरह पाबंदी लगाई जाए और लोगों को पानी में मौजूद मिनरल्‍स के फायदों के बारे में जागरूक किया जाए। एनजीटी ने इस बारे में पहला आदेश 20 मई को अपने ही द्वारा गठित एक समिति की रिपोर्ट पर कदम उठाते हुए दिया था। इस आदेश के खिलाफ वाटर प्‍यूरिफायर बनाने वाली कंपनियों के संगठन वाटर क्‍वालिटी इंडिया एसोसिएशन ने समीक्षा याचिका दायर की थी मगर एनजीटी की न्‍यायमूति आदर्श गोयल की पीठ ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि वो अपने 20 मई के आदेश में कोई बदलाव नहीं करने जा रही है।

अधिकरण ने कहा कि उसने आदेश जारी करने से पहले याचिकाकर्ता के वकील समेत सभी पक्षों के वकीलों की बातें सुनी। समीक्षा याचिका के साथ ऐसा कोई मान्य दस्तावेज पेश नहीं किया गया जो यह दर्शाता हो कि जारी आदेश में किसी सुधार की जरूरत है। उसने कहा कि वाटर क्वालिटी इंडिया एसोसिएशन की समीक्षा याचिका में कोई दम नहीं है। ऐसे में वह खारिज किये जाने लायक है।

अधिकरण ने उसके द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट पर गौर करने के बाद 20 मई को आदेश जारी किया था और पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को निर्देश दिया था। समिति ने कहा था कि यदि टीडीएस 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है तो आरओ प्रणाली उपयोगी नहीं है, बल्कि इससे तो महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ पानी से निकल जाएगा और पानी की अनुचित बर्बादी होगी।

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